IPO Full Information In Hindi

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शेयर बाजार जोखिमों से फायदा होता है यहां पर एक पल में चाल बदल जाती है तो दूसरे पर ले ही स्टॉक मार्केट का अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल हो जाता है यदि आप भी स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको शेयर मार्केट की पूरी जानकारी होना बहुत ही आवश्यक है,यदि आप बिना सही जानकारी के शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं तो आपको काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

शेयर बाजार में निवेश करना मुश्किल काम नहीं है. सिर्फ आपको शेयर बाजार के बारे में थोड़ी जानकारी रखना होगी साथ ही शेयर बाजार पर अपनी नजर रखने की आदत भी बनानी होगी. यदि आप शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो आपको हम बता दें कि स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करने के 2 तरीके होते हैं.

शेयर बाजार में निवेश के तरीके (How to Invest in Stock Market)

– PRIMARY MARKET (प्राइमरी मार्केट)
– SECONDRY MARKET (सेकंड्ररी मार्केट)

शेयर बाजार में जब आप निवेश करते हैं और प्राइमरी मार्केट का चयन करते हैं तो मैं आपको इन्वेस्ट करने के लिए आईपीओ (IPO) की आवश्यकता होती है. शेयर बाजार PRIMARY MARKET मैं आप आईपीओ (IPO) से ही इन्वेस्ट कर सकते हैं जबकि सेकेंडरी मार्केट में आप डायरेक्ट स्टॉक मार्केट में लिस्टिड शेयर में निवेश कर सकते हैं.

आईपीओ (IPO) क्या है? (What is an IPO)

आईपीओ का फुल फॉर्म INITIAL PUBLIC OFFERING (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) है. शेयर मार्केट में जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर पब्लिक को ऑफर करती है तो इस प्रोसेस को आईपीओ (INITIAL PUBLIC OFFERING) कहा जाता है. इस प्रोसेस में कोई सी भी कंपनी अपने शहर आम लोगों के लिए ऑफर करती है यह प्रोसेस परिभाषा से प्राइमरी मार्केट के अंतर्गत ही होती है.

साधारण भाषा में कहा जाए तो हम आसानी से कह सकते हैं कि कोई सी भी कंपनी आईपीओ के माध्यम से फंड जमा करते हैं और उस फंड को अपनी कंपनी की तरक्की में अपने अनुसार खर्च करती है.लोगों के द्वारा खरीदे गए आईपीओ कंपनी लोगों को हिस्सेदारी देती है. जब आप किसी भी कंपनी के शेयर खरीदे हैं आप कंपनी द्वारा खरीदे गए शहर के मालिक बन जाते हैं. कंपनियां एक से ज्यादा बार आईपीओ को ला सकती है. कंपनियां कई कारणों से मार्केट में आईपीओ को लाती है.

IPO लाने के कारण (Reasons for IPO)

जब कोई कंपनी लगातार प्रसिद्धि हासिल करती है और आगे बढ़ती है कंपनी को और अधिक विस्तार की आवश्यकता होती है यानी कि एक शहर से दूसरे शहर में भी वह अपने कंपनी का विस्तार करना चाहती है उस समय कंपनी को कई लोगों की आवश्यकता होती है इस कंडीशन में कंपनी दूसरे शहरों में अपने व्यापार का विस्तार करने के लिए आईपीओ लाती है.

कंपनी को अपने व्यापार के विस्तार के लिए पैसों की आवश्यकता है. कंपनियों को यह पैसा बैंक लोन के माध्यम से मिलता है, हालांकि उन्हें यह लोन ब्याज और निश्चित समय के साथ ही लौटाना भी पड़ता है.इन परेशानियों से बचने के लिए जब कंपनी आईपीओ के माध्यम से फंड इकट्ठा करती है तो उसे ना तो किसी को पैसा लौटाना होता है और ना ही उस पैसे पर किसी तरह का ब्याज देना होता है.

कंपनी कर्ज कम करने के लिए :-

जब कोई कंपनी अत्यधिक कर्ज में होती है तो इस परिस्थिति से निपटने के लिए वह कंपनी आईपीओ जारी करती है. कर्ज की स्थिति में कोई भी कंपनी किस बैंक से कर्ज लेने के मुकाबले आईपीओ जारी करते हुए अपने शेयर बेचने को ही ज्यादा महत्व देती है. जब कंपनी आईपीओ के माध्यम से अपने कुछ शेयर भेज देती है तो उन पैसों से वह अपने कप्तान आसानी से करती है. इस प्रोसेस में कंपनी कर्ज से मुक्त हो जाती है और उन्हें इन्वेस्टर भी मिल जाते हैं.

नई सर्विस या प्रोडक्ट लांच के लिए

कंपनी पैसों की आवश्यकता पर ही हाइड्रोजन नहीं करती बल्कि जब अपनी कंपनी की नई सर्विस सिया के प्रोडक्ट को लॉन्च करना होता है तब भी वह कंपनी आईपीओ जारी करते हैं क्योंकि कंपनी चाहती है कि जब भी किसी नए प्रोडक्ट या सर्विस की शुरूआत हो तो उसके प्रोडक्शन का प्रमोशन बहुत ज्यादा बड़े लेवल पर और वहां सर्विस ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे कंपनी लिए भी आईपीओ इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) को जारी करती है.

आईपीओ खरीदने से क्या फायदा है? (benefit of buying a IPO)

अभी तक आपने सभी पहलुओं पर कंपनी का प्रॉफिट देखा है किसी कंपनी का आईपीओ खरीदा है तो उसे क्या फायदा होता है इस बारे में जानना के तहत आवश्यक है. जब भी कोई व्यक्ति आईपीओ में निवेश करता है और उसे खरीदा है जो आईपीओ के बदले खुशी व्यक्ति को कंपनी में कुछ प्रतिशत की हिस्सेदारी दी जाती है, किसी कंपनी ने अपने शेयर आईपीओ के लिए निकाले हैं और आपने वह आईपीओ खरीद लिए हैं तो आप उस कंपनी के शेयर के अनुसार मालिक बन जाते हैं. इस तरह कंपनी और खरीदार दोनों का फायदा हो जाता है.

Types of IPO

किसी भी कंपनी के आईपीओ को दो तरह से आसानी से बचा जा सकता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आईपीओ को दो भागों में बांटने का मुख्य कारण उनके मूल्यों का निर्धारण करना होता है.

– FIX PRICE OR FIX PRICE ISSUE IPO (फिक्स प्राईस या फिक्स प्राईस इश्यू आईपीओ)
– BOOK BUILDING IPO (बुक बिल्डिंग या बुक बिल्डिंग इश्यू आईपीओ)

FIX PRICE OR FIX PRICE ISSUE IPO (फिक्स प्राईस या फिक्स प्राईस इश्यू आईपीओ)

जब भी कोई कंपनी आईपीओ जारी करती है तो इससे पहले वहां INVESTMENT BANK (इनवेस्टमेंट बैंक) के साथ मिलकर आईपीओ प्राइस के बारे में चर्चा करते हुए आईपीओ के हर पहलू पर विचार करते हैं. कंपनी अपने आईपीओ की प्राइस का निर्णय भी INVESTMENT BANK के साथ हुई चर्चा में ही डिसाइड करते हैं. कोई भी व्यक्ति कंपनी के द्वारा निर्धारित किए गए आईपीओ प्राइस पर ही उसे खरीद सकता है और आईपीओ को फिक्स प्राइस पर ही सब्सक्राइब कर सकते हैं.

BOOK BUILDING IPO (बुक बिल्डिंग या बुक बिल्डिंग इश्यू आईपीओ)

इस प्रोसेस कंपनी अपनी इन्वेस्टमेंट बैंक के साथ मिलकर अपने आईपीओ का प्राइस बैंड को निर्धारित करती है जब कंपनी की प्राइस डिसाइड कर लेती है तो उसके बाद ही से जारी करती है. इन्वेस्टर कंपनी द्वारा फिक्स किए गई प्राइस बैंड पर ही अपनी बेड सब्सक्राइब करते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दे की BOOK BUILDING IPO मैं प्राइस बैंड दो तरीके के होते हैं.

· FLOOR PRICE (फ्लोर प्राइस)
· CAP PRICE (कैप प्राइस)

फ्लोर प्राइस किसे कहते हैं? What is the floor price

कंपनी के द्वारा जारी किए गए किसी आईपीओ के प्राईस बैंड मैं प्राइस कम है तो उसे फ्लोर प्राइस कहते हैं.

कैप किसे कहते हैं? What is the CAP PRICE

इसी तरह यदि किसी कंपनी के आईपीओ का प्राइस बहुत ज्यादा है तो उसे केक प्राइस कहां जाता है. यहां पर अधिक ध्यान देने वाली बात यह है कि बुक बिल्डिंग आईपीओ के अंतर्गत FLOOR PRICE और CAP PRICE मैं तकरीबन 20% का अंतर होता है.

आईपीओ में इन्वेस्ट कैसे करें? (How to invest in IPO)

जब कोई कंपनी आईपीओ जारी कर दी है तो कंपनी अपने आईपीओ को लोगों के लिए कम से कम 3 दिन और ज्यादा से ज्यादा 10 दिनों के लिए ही ओपन रखते हैं इसका मतलब है कि कोई भी व्यक्ति आईपीओ को 3 से 10 दिन के अंदर कभी भी करता है हालांकि कई कंपनियां अपने आईपीओ को जारी करने की अवधि 3 दिन रहती है जबकि कई कंपनियां इस अवधि को 10 दिन तक यह कंपनी पर निर्भर करता है कि वह अपने आईपीओ के लिए कितने समय की अवधि रखना चाहती है.

आईपीओ कैसे खरीदें? How to buy a IPO

जब कोई कंपनी में निश्चित दिनों के अंदर आईपीओ जारी करती है, तो इन्वेस्टर्स कंपनी की साइट पर जाकर रजिस्टर्ड ब्रोकरेज के माध्यम से आईपीओ को खरीद सकती है या इन्वेस्ट कर सकती है. यदि कोई आईपीओ Fix price issue है तो आपको उसी फिक्स प्राइस पर आईपीओ में इन्वेस्ट करने के लिए अप्लाई करना होगा, जबकि यदि आईपीओ Book building issue मैं तो आपको उसी Book building issue पर बिड लगानी है.

IPO Allotment process

जब कंपनी के द्वारा जारी किए गए आईपीओ की ओपनिंग बंद हो जाती है तब कंपनी अपने आईपीओ के अलॉटमेंट प्रोसेस करती है. इस प्रोसेस में कंपनी अपने सभी इन्वेस्टर्स को आईपीओ अलॉट करती है. जब इन्वेस्टर्स को आईपीओ अलर्ट हो जाते हैं तो इसके बाद उनके शेयर STOCK MARKET (स्टॉक एक्सचेंज) मैं लिस्ट हो जाते हैं.

इन्वेस्टर के जब शेयर स्टॉक मार्केट में लिस्ट हो जाते हैं उनके शहर को सेकेंडरी मार्केट में खरीदा और बेचा जाता है. एक बात का विशेष ध्यान रखें कि जब तक आपके शेयर स्टॉक मार्केट में लिस्ट नहीं होते हैं तब तक आप उन्हें भेज नहीं सकते हैं. जब आपके क्षेत्र में लिस्ट हो जाते हैं तब आप अपने शेयर को देख सकते हैं या फिर एक्सचेंज कर सकते हैं. आपके शेयर लिस्ट हो जाते हैं तो आप स्टॉक मार्केट टाइमिंग के अनुसार अपने शेयर को कभी भी बेच सकते हैं और कभी भी खरीद सकते हैं.

सेबी की निगरानी में होता है IPO प्रोसेस

जब कोई कंपनी आईपीयू प्रोसेस करते हो तो उन्हें SEBI (SECURITIES AND EXCHANGE BOARD OF INDIA) के द्वारा निर्धारित किए गए सभी नियमों का पालन करना होता है. आईपीओ की योजना सेबी के अंतर्गत हि होती है. कंपनी को अपनी आईपीओ इन्वेस्टर्स को बेचने से पहले सभी को सभी बातों से अवगत कराना आवश्यक होता है. कंपनी सेबी को RED HERRING PROSPECTUS (रेड हैरिंग प्रोस्पेक्टेस) देती है.

कंपनी की रेड हेरिंग प्रोस्पेक्टस (Company red herring prospectus)

– BUSINESS DETAILS (बिज़नेस डिलेट)
– CAPITAL STRUCTURE (कैपिटल स्ट्रकचर)
– RISK FACTOR (रिस्क फैक्टर)
– RISK STRATEGY (रिस्क स्ट्रैटेजी)
– PROMOTORS AND MANAGEMENT (प्रोमोटर्स एंड मैनेजमेंट)
– PAST FINANCIAL DATA (पास्ट फाईनैंशियल डेटा)

आप को यह सभी सही और सटीक जानकारी SECURITIES AND EXCHANGE BOARD OF INDIA (SEBI) की वेबसाइट पर मिल जाएगी. सभी कंपनियों को SEBI द्वारा निर्धारित किए गए नियम और शर्तों को मानना आवश्यक होता है.

आईपीओ में निवेश से पहले ध्यान रखें यह बातें

किसी कंपनी के आईपीओ में निवेश से पहले आपको कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है ताकि आपको किसी तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े.

– जब आप किसी कंपनी के आईपीओ में इन्वेस्ट करते हैं तो सबसे पहले आपको उस कंपनी की तुलना दूसरी कंपनियों से करना चाहिए.
– जब भी कोई कंपनी आई पी एल आती है तो आपको उस कंपनी के रैड हैरिंग प्रोस्पेक्टस अच्छी तरह से पढ़ना आवश्यक होता है.
– आईपीओ निवेश करने से पहले आपको सभी बातों पर विचार विमर्श करना अति आवश्यक होता है.

IPO :- शेयर बाजार जोखिमों से फायदा होता है यहां पर एक पल में चाल बदल जाती है तो दूसरे पर ले ही स्टॉक मार्केट का अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल हो जाता है यदि आप भी स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको शेयर मार्केट की पूरी जानकारी होना बहुत ही आवश्यक है,यदि आप बिना सही जानकारी के शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं तो आपको काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

शेयर बाजार में निवेश करना मुश्किल काम नहीं है. सिर्फ आपको शेयर बाजार के बारे में थोड़ी जानकारी रखना होगी साथ ही शेयर बाजार पर अपनी नजर रखने की आदत भी बनानी होगी. यदि आप शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो आपको हम बता दें कि स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करने के 2 तरीके होते हैं.

शेयर बाजार में निवेश के तरीके (How to Invest in Stock Market)

– PRIMARY MARKET (प्राइमरी मार्केट)
– SECONDRY MARKET (सेकंड्ररी मार्केट)

शेयर बाजार में जब आप निवेश करते हैं और प्राइमरी मार्केट का चयन करते हैं तो मैं आपको इन्वेस्ट करने के लिए आईपीओ (IPO) की आवश्यकता होती है. शेयर बाजार PRIMARY MARKET मैं आप आईपीओ (IPO) से ही इन्वेस्ट कर सकते हैं जबकि सेकेंडरी मार्केट में आप डायरेक्ट स्टॉक मार्केट में लिस्टिड शेयर में निवेश कर सकते हैं.

आईपीओ (IPO) क्या है? (What is an IPO)

आईपीओ का फुल फॉर्म INITIAL PUBLIC OFFERING (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) है. शेयर मार्केट में जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर पब्लिक को ऑफर करती है तो इस प्रोसेस को आईपीओ (INITIAL PUBLIC OFFERING) कहा जाता है. इस प्रोसेस में कोई सी भी कंपनी अपने शहर आम लोगों के लिए ऑफर करती है यह प्रोसेस परिभाषा से प्राइमरी मार्केट के अंतर्गत ही होती है.

साधारण भाषा में कहा जाए तो हम आसानी से कह सकते हैं कि कोई सी भी कंपनी आईपीओ के माध्यम से फंड जमा करते हैं और उस फंड को अपनी कंपनी की तरक्की में अपने अनुसार खर्च करती है.लोगों के द्वारा खरीदे गए आईपीओ कंपनी लोगों को हिस्सेदारी देती है. जब आप किसी भी कंपनी के शेयर खरीदे हैं आप कंपनी द्वारा खरीदे गए शहर के मालिक बन जाते हैं. कंपनियां एक से ज्यादा बार आईपीओ को ला सकती है. कंपनियां कई कारणों से मार्केट में आईपीओ को लाती है.

IPO लाने के कारण (Reasons for IPO)

जब कोई कंपनी लगातार प्रसिद्धि हासिल करती है और आगे बढ़ती है कंपनी को और अधिक विस्तार की आवश्यकता होती है यानी कि एक शहर से दूसरे शहर में भी वह अपने कंपनी का विस्तार करना चाहती है उस समय कंपनी को कई लोगों की आवश्यकता होती है इस कंडीशन में कंपनी दूसरे शहरों में अपने व्यापार का विस्तार करने के लिए आईपीओ लाती है.

कंपनी को अपने व्यापार के विस्तार के लिए पैसों की आवश्यकता है. कंपनियों को यह पैसा बैंक लोन के माध्यम से मिलता है, हालांकि उन्हें यह लोन ब्याज और निश्चित समय के साथ ही लौटाना भी पड़ता है.इन परेशानियों से बचने के लिए जब कंपनी आईपीओ के माध्यम से फंड इकट्ठा करती है तो उसे ना तो किसी को पैसा लौटाना होता है और ना ही उस पैसे पर किसी तरह का ब्याज देना होता है.

कंपनी कर्ज कम करने के लिए :-

जब कोई कंपनी अत्यधिक कर्ज में होती है तो इस परिस्थिति से निपटने के लिए वह कंपनी आईपीओ जारी करती है. कर्ज की स्थिति में कोई भी कंपनी किस बैंक से कर्ज लेने के मुकाबले आईपीओ जारी करते हुए अपने शेयर बेचने को ही ज्यादा महत्व देती है. जब कंपनी आईपीओ के माध्यम से अपने कुछ शेयर भेज देती है तो उन पैसों से वह अपने कप्तान आसानी से करती है. इस प्रोसेस में कंपनी कर्ज से मुक्त हो जाती है और उन्हें इन्वेस्टर भी मिल जाते हैं.

नई सर्विस या प्रोडक्ट लांच के लिए

कंपनी पैसों की आवश्यकता पर ही हाइड्रोजन नहीं करती बल्कि जब अपनी कंपनी की नई सर्विस सिया के प्रोडक्ट को लॉन्च करना होता है तब भी वह कंपनी आईपीओ जारी करते हैं क्योंकि कंपनी चाहती है कि जब भी किसी नए प्रोडक्ट या सर्विस की शुरूआत हो तो उसके प्रोडक्शन का प्रमोशन बहुत ज्यादा बड़े लेवल पर और वहां सर्विस ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे कंपनी लिए भी आईपीओ इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) को जारी करती है.

आईपीओ खरीदने से क्या फायदा है? (benefit of buying a IPO)

अभी तक आपने सभी पहलुओं पर कंपनी का प्रॉफिट देखा है किसी कंपनी का आईपीओ खरीदा है तो उसे क्या फायदा होता है इस बारे में जानना के तहत आवश्यक है. जब भी कोई व्यक्ति आईपीओ में निवेश करता है और उसे खरीदा है जो आईपीओ के बदले खुशी व्यक्ति को कंपनी में कुछ प्रतिशत की हिस्सेदारी दी जाती है, किसी कंपनी ने अपने शेयर आईपीओ के लिए निकाले हैं और आपने वह आईपीओ खरीद लिए हैं तो आप उस कंपनी के शेयर के अनुसार मालिक बन जाते हैं. इस तरह कंपनी और खरीदार दोनों का फायदा हो जाता है.

Types of IPO

किसी भी कंपनी के आईपीओ को दो तरह से आसानी से बचा जा सकता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आईपीओ को दो भागों में बांटने का मुख्य कारण उनके मूल्यों का निर्धारण करना होता है.

– FIX PRICE OR FIX PRICE ISSUE IPO (फिक्स प्राईस या फिक्स प्राईस इश्यू आईपीओ)
– BOOK BUILDING IPO (बुक बिल्डिंग या बुक बिल्डिंग इश्यू आईपीओ)

FIX PRICE OR FIX PRICE ISSUE IPO (फिक्स प्राईस या फिक्स प्राईस इश्यू आईपीओ)

जब भी कोई कंपनी आईपीओ जारी करती है तो इससे पहले वहां INVESTMENT BANK (इनवेस्टमेंट बैंक) के साथ मिलकर आईपीओ प्राइस के बारे में चर्चा करते हुए आईपीओ के हर पहलू पर विचार करते हैं. कंपनी अपने आईपीओ की प्राइस का निर्णय भी INVESTMENT BANK के साथ हुई चर्चा में ही डिसाइड करते हैं. कोई भी व्यक्ति कंपनी के द्वारा निर्धारित किए गए आईपीओ प्राइस पर ही उसे खरीद सकता है और आईपीओ को फिक्स प्राइस पर ही सब्सक्राइब कर सकते हैं.

BOOK BUILDING IPO (बुक बिल्डिंग या बुक बिल्डिंग इश्यू आईपीओ)

इस प्रोसेस कंपनी अपनी इन्वेस्टमेंट बैंक के साथ मिलकर अपने आईपीओ का प्राइस बैंड को निर्धारित करती है जब कंपनी की प्राइस डिसाइड कर लेती है तो उसके बाद ही से जारी करती है. इन्वेस्टर कंपनी द्वारा फिक्स किए गई प्राइस बैंड पर ही अपनी बेड सब्सक्राइब करते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दे की BOOK BUILDING IPO मैं प्राइस बैंड दो तरीके के होते हैं.

· FLOOR PRICE (फ्लोर प्राइस)
· CAP PRICE (कैप प्राइस)

फ्लोर प्राइस किसे कहते हैं? What is the floor price

कंपनी के द्वारा जारी किए गए किसी आईपीओ के प्राईस बैंड मैं प्राइस कम है तो उसे फ्लोर प्राइस कहते हैं.

कैप किसे कहते हैं? What is the CAP PRICE

इसी तरह यदि किसी कंपनी के आईपीओ का प्राइस बहुत ज्यादा है तो उसे केक प्राइस कहां जाता है. यहां पर अधिक ध्यान देने वाली बात यह है कि बुक बिल्डिंग आईपीओ के अंतर्गत FLOOR PRICE और CAP PRICE मैं तकरीबन 20% का अंतर होता है.

आईपीओ में इन्वेस्ट कैसे करें? (How to invest in IPO)

जब कोई कंपनी आईपीओ जारी कर दी है तो कंपनी अपने आईपीओ को लोगों के लिए कम से कम 3 दिन और ज्यादा से ज्यादा 10 दिनों के लिए ही ओपन रखते हैं इसका मतलब है कि कोई भी व्यक्ति आईपीओ को 3 से 10 दिन के अंदर कभी भी करता है हालांकि कई कंपनियां अपने आईपीओ को जारी करने की अवधि 3 दिन रहती है जबकि कई कंपनियां इस अवधि को 10 दिन तक यह कंपनी पर निर्भर करता है कि वह अपने आईपीओ के लिए कितने समय की अवधि रखना चाहती है.

आईपीओ कैसे खरीदें? How to buy a IPO

जब कोई कंपनी में निश्चित दिनों के अंदर आईपीओ जारी करती है, तो इन्वेस्टर्स कंपनी की साइट पर जाकर रजिस्टर्ड ब्रोकरेज के माध्यम से आईपीओ को खरीद सकती है या इन्वेस्ट कर सकती है. यदि कोई आईपीओ Fix price issue है तो आपको उसी फिक्स प्राइस पर आईपीओ में इन्वेस्ट करने के लिए अप्लाई करना होगा, जबकि यदि आईपीओ Book building issue मैं तो आपको उसी Book building issue पर बिड लगानी है.

IPO Allotment process

जब कंपनी के द्वारा जारी किए गए आईपीओ की ओपनिंग बंद हो जाती है तब कंपनी अपने आईपीओ के अलॉटमेंट प्रोसेस करती है. इस प्रोसेस में कंपनी अपने सभी इन्वेस्टर्स को आईपीओ अलॉट करती है. जब इन्वेस्टर्स को आईपीओ अलर्ट हो जाते हैं तो इसके बाद उनके शेयर STOCK MARKET (स्टॉक एक्सचेंज) मैं लिस्ट हो जाते हैं.

इन्वेस्टर के जब शेयर स्टॉक मार्केट में लिस्ट हो जाते हैं उनके शहर को सेकेंडरी मार्केट में खरीदा और बेचा जाता है. एक बात का विशेष ध्यान रखें कि जब तक आपके शेयर स्टॉक मार्केट में लिस्ट नहीं होते हैं तब तक आप उन्हें भेज नहीं सकते हैं. जब आपके क्षेत्र में लिस्ट हो जाते हैं तब आप अपने शेयर को देख सकते हैं या फिर एक्सचेंज कर सकते हैं. आपके शेयर लिस्ट हो जाते हैं तो आप स्टॉक मार्केट टाइमिंग के अनुसार अपने शेयर को कभी भी बेच सकते हैं और कभी भी खरीद सकते हैं.

सेबी की निगरानी में होता है IPO प्रोसेस

जब कोई कंपनी आईपीयू प्रोसेस करते हो तो उन्हें SEBI (SECURITIES AND EXCHANGE BOARD OF INDIA) के द्वारा निर्धारित किए गए सभी नियमों का पालन करना होता है. आईपीओ की योजना सेबी के अंतर्गत हि होती है. कंपनी को अपनी आईपीओ इन्वेस्टर्स को बेचने से पहले सभी को सभी बातों से अवगत कराना आवश्यक होता है. कंपनी सेबी को RED HERRING PROSPECTUS (रेड हैरिंग प्रोस्पेक्टेस) देती है.

कंपनी की रेड हेरिंग प्रोस्पेक्टस (Company red herring prospectus)

– BUSINESS DETAILS (बिज़नेस डिलेट)
– CAPITAL STRUCTURE (कैपिटल स्ट्रकचर)
– RISK FACTOR (रिस्क फैक्टर)
– RISK STRATEGY (रिस्क स्ट्रैटेजी)
– PROMOTORS AND MANAGEMENT (प्रोमोटर्स एंड मैनेजमेंट)
– PAST FINANCIAL DATA (पास्ट फाईनैंशियल डेटा)

आप को यह सभी सही और सटीक जानकारी SECURITIES AND EXCHANGE BOARD OF INDIA (SEBI) की वेबसाइट पर मिल जाएगी. सभी कंपनियों को SEBI द्वारा निर्धारित किए गए नियम और शर्तों को मानना आवश्यक होता है.

आईपीओ में निवेश से पहले ध्यान रखें यह बातें

किसी कंपनी के आईपीओ में निवेश से पहले आपको कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है ताकि आपको किसी तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े.

– जब आप किसी कंपनी के आईपीओ में इन्वेस्ट करते हैं तो सबसे पहले आपको उस कंपनी की तुलना दूसरी कंपनियों से करना चाहिए.
– जब भी कोई कंपनी आई पी एल आती है तो आपको उस कंपनी के रैड हैरिंग प्रोस्पेक्टस अच्छी तरह से पढ़ना आवश्यक होता है.
– आईपीओ निवेश करने से पहले आपको सभी बातों पर विचार विमर्श करना अति आवश्यक होता है.

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हेलो गाइज, मै Twinkle और में इस ब्लॉग की ओनर हु, और पिछले 3 सालोसे डिजिटल मार्केटिंग, ब्लॉगिंग पर काम कर रही हु। और यहाँ पे ये भी आशा करती हु की आपको हमारे ब्लॉग का कॉन्टेंट पसंद आ रहा है।

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